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- | Die '''Cavatine der Zerline''' ist eine kurze Arie in der [[Oper]] ''[[Fra Diavolo]]'' von [[Daniel-François-Esprit Auber]] und [[Eugène Scribe]]. Die klassische deutsche Übersetzung der Oper, die auch [[Lothar Dräger]] geläufig war, stammt von Karl Ludwig Blum. | + | Die '''Cavatine der Zerline''' ist eine kurze Arie in der Oper "[[Fra Diavolo]]" von [[Daniel-François-Esprit Auber]] und [[Eugène Scribe]]. Die klassische deutsche Übersetzung der Oper, die auch [[Lothar Dräger]] geläufig ist, stammt von Karl Ludwig Blum. |
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| == Die Cavatine im Mosaik == | | == Die Cavatine im Mosaik == |
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| == Der Wortlaut der Cavatine == | | == Der Wortlaut der Cavatine == |
- | In der linken Spalte die Übersetzung von Carl Blum und Wilhelm Zentner; die beiden im Mosaik annähernd korrekt zitierten Zeilen sind fett hervorgehoben. In der Mitte das Originallibretto von Eugène Scribe. Rechts eine möglichst genaue Übertragung.
| + | Die beiden im Mosaik annähernd korrekt zitierten Zeilen sind fett hervorgehoben. |
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- | {|
| + | :Ja schon morgen, morgen, morgen, |
- | | valign="top" |
| + | :Da bin ich ihm vermählt, |
- | <poem>
| + | :Ja morgen, o welch ein Glück, |
- | ''Refrain''
| + | :Ist er mein, ganz mein, den ich erwählt! |
- | Ja schon morgen, morgen, morgen, | + | |
- | Da bin ich ihm vermählt, | + | |
- | Ja morgen, o welch ein Glück, ist er mein, ganz mein, den ich erwählt! | + | |
- | Zu dem schönen Ehebunde, da schlägt nun bald die frohe Stunde,
| + | |
- | Morgen schon, ja morgen schon!
| + | |
- | Zum Ehebunde, da schlägt die Stunde, ja, morgen schon!
| + | |
| | | |
- | ''1. Strophe''
| + | :Zu dem schönen Ehebunde, |
- | Viel besser woll'n wir uns vertragen
| + | :Da schlägt nun bald die frohe Stunde, |
- | Als Mylady sich mit dem Gemahl!
| + | :Morgen schon, ja morgen schon! |
- | Denn ich darf von Lorenzo sagen,
| + | :Zum Ehebunde, |
- | Er kennt nicht Eifersucht noch ihre Qual.
| + | :Da schlägt die Stunde, |
| + | :Ja, morgen schon! |
| | | |
| + | :Viel besser woll'n wir uns vertragen |
| + | :Als Mylady sich mit dem Gemahl! |
| + | :Denn ich darf von Lorenzo sagen, |
| + | :Er kennt nicht Eifersucht noch ihre Qual. |
| | | |
- | Wohl darf ich Lorenzo trauen, | + | :Wohl darf ich Lorenzo trauen, |
- | Denn er weiß, wie ich ihn liebe! | + | :Denn er weiß, wie ich ihn liebe! |
- | Ich bin nicht so wie and're Frauen! | + | :Ich bin nicht so wie and're Frauen! |
| | | |
- | ''Refrain''
| + | :Ja schon morgen, morgen, morgen, |
- | Ja schon morgen, morgen, morgen, | + | :Da bin ich ihm vermählt, |
- | Da bin ich ihm vermählt, | + | :Ja morgen, o welch ein Glück, |
- | Ja morgen, o welch ein Glück, ist er mein, ganz mein, den ich erwählt! | + | :Ist er mein, ganz mein, den ich erwählt! |
- | Zu dem schönen Ehebunde, da schlägt nun bald die frohe Stunde,
| + | |
- | Morgen schon, ja morgen schon!
| + | |
- | Zum Ehebunde, da schlägt die Stunde, ja, morgen schon!
| + | |
| | | |
- | ''2. Strophe''
| + | :Zu dem schönen Ehebunde, |
- | Zwar fehlen mir wohl die Manieren,
| + | :Da schlägt nun bald die frohe Stunde, |
- | Die Kokette spielen kann ich nicht,
| + | :Morgen schon, ja morgen schon! |
- | Doch kann Lorenzo, sollt' ich meinen,
| + | :Zum Ehebunde, |
- | Sich nicht beklagen, Gott sei Dank!
| + | :Da schlägt die Stunde, |
- | '''Für ein einfach ländliches Mädchen,'''
| + | :Ja, morgen schon! |
- | '''Da bin ich schon recht fein gebaut!'''
| + | |
| | | |
- | Und es ward in manchem Städtchen
| + | :Zwar fehlen mir wohl die Manieren, |
- | Wohl schon ein hässlichers Bräutchen getraut!
| + | :Die Kokette spielen kann ich nicht, |
| + | :Doch kann Lorenzo, sollt' ich meinen, |
| + | :Sich nicht beklagen, Gott sei Dank! |
| | | |
- | ''Refrain'' | + | :'''Für ein einfach ländliches Mädchen,''' |
- | Es schlägt nun bald die frohe Stunde,
| + | :'''Da bin ich schon recht fein gebaut!''' |
- | Morgen schon, ja morgen schon!
| + | :Und es ward in manchem Städtchen |
- | Zum Ehebunde,
| + | :Wohl schon ein hässlichers Bräutchen getraut! |
- | Da schlägt die Stunde,
| + | |
- | Ja, morgen schon!
| + | |
- | </poem>
| + | |
- | | width="30" |
| + | |
- | | valign="top" |
| + | |
- | <poem>
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- | ''Refrain'' | + | |
- | Oui, c'est demain, c'est demain
| + | |
- | qu'enfin l'on nous marie!
| + | |
- | C'est demain, c'est demain
| + | |
- | qu'il recevra ma main.
| + | |
- | Que mon âme est ravie!
| + | |
- | c'est demain, c'est demain, c'est demain!
| + | |
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- | ''1. Strophe''
| + | :Es schlägt nun bald die frohe Stunde, |
- | Nous ferons bien meilleur ménage
| + | :Morgen schon, ja morgen schon! |
- | que cette Anglaise et son époux;
| + | :Zum Ehebunde, |
- | car Lorenzo n'est pas volage,
| + | :Da schlägt die Stunde, |
- | il ne sera jamais jaloux.
| + | :Ja, morgen schon! |
- | Aye, aye, je n'y prends pas garde,
| + | |
- | et je me pique!
| + | |
- | Je suis sûre de mon mari;
| + | |
- | en sa femme il a confiance;
| + | |
- | aussi pour moi quelle espérance!
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- | | + | |
- | ''Refrain''
| + | |
- | C'est demain, c'est demain
| + | |
- | qu'enfin l'on nous marie!
| + | |
- | C'est demain, c'est demain
| + | |
- | qu'il recevra ma main!
| + | |
- | Que mon âme est ravie!
| + | |
- | C'est demain, c'est demain, c'est demain!
| + | |
- | | + | |
- | ''2. Strophe''
| + | |
- | Pour moi je n'ai pas l'élégance
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- | ni les attraits de Milady.
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- | Pourtant Lorenzo quand j'y pense,
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- | n'est pas à plaindre, Dieu merci!
| + | |
- | Oui, voilà pour une servante,
| + | |
- | une taille qui n'est pas mal;
| + | |
- | vraiment, vraiment, ce n'est pas mal:
| + | |
- | Je crois qu'on en voit de plus mal.
| + | |
- | Oui, oui, j'en suis assez contente.
| + | |
- | | + | |
- | ''Refrain''
| + | |
- | C'est demain, c'est demain,
| + | |
- | ce jour que je désire;
| + | |
- | c'est demain, c'est demain,
| + | |
- | qu'il recevra ma main.
| + | |
- | Ah! quelle bonheur de dire:
| + | |
- | c'est demain, c'est demain!
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- | </poem>
| + | |
- | | width="30" |
| + | |
- | | valign="top" |
| + | |
- | <poem>
| + | |
- | ''Refrain''
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- | Ja, es ist morgen, es ist morgen,
| + | |
- | dass wir uns endlich heiraten!
| + | |
- | Es ist morgen, es ist morgen,
| + | |
- | dass er meine Hand erhält.
| + | |
- | Wie meine Seele begeistert ist!
| + | |
- | Es ist morgen, es ist morgen, es ist morgen!
| + | |
- | | + | |
- | ''1. Strophe''
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- | Wir schaffen uns eine viel bessere Ehe
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- | als diese Engländerin und ihr Gemahl;
| + | |
- | denn Lorenzo ist nicht flatterhaft,
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- | er ist nie eifersüchtig.
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- | Ja, ja, ich muss gar nicht auf der Hut sein,
| + | |
- | oder mich aufstacheln! [?]
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- | Ich bin mir meines Mannes sicher;
| + | |
- | in seine Frau kann er Vertrauen haben;
| + | |
- | und für mich - welche Hoffnung!
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- | | + | |
- | ''Refrain''
| + | |
- | Es ist morgen, es ist morgen,
| + | |
- | dass wir uns endlich heiraten!
| + | |
- | Es ist morgen, es ist morgen,
| + | |
- | dass er meine Hand erhält!
| + | |
- | Wie meine Seele begeistert ist!
| + | |
- | Es ist morgen, es ist morgen, es ist morgen!
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- | | + | |
- | ''2. Strophe''
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- | Was mich betrifft, ich habe weder die Eleganz,
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- | noch die Reize von Mylady.
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- | Jedoch Lorenzo, wie ich mir denke,
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- | kann sich nicht beklagen, Gott sei Dank!
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- | Ja, für eine Magd ist das | + | |
- | eine Taille, die nicht übel ist;
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- | wirklich, wirklich, die ist nicht übel:
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- | Ich glaube, dass man das viel schlimmer treffen könnte.
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- | Doch, doch, ich bin ziemlich zufrieden.
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- | | + | |
- | ''Refrain''
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- | Es ist morgen, es ist morgen,
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- | der Tag, den ich ersehne;
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- | es ist morgen, es ist morgen,
| + | |
- | dass er meine Hand erhält.
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- | Ach! welche Wonne zu schlafen:
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- | Es ist morgen, es ist morgen!
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- | </poem>
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| == Literatur == | | == Literatur == |
| *Daniel-François-Esprit Auber und Eugène Scribe, ''Fra Diavolo'', Stuttgart 1979 | | *Daniel-François-Esprit Auber und Eugène Scribe, ''Fra Diavolo'', Stuttgart 1979 |
- | *[https://www.youtube.com/watch?v=YtH1FiP929M&feature=youtu.be&t=72 Die Cavatine der Zerline] auf französisch
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- | *[https://youtu.be/DRRVWQXN0Ow?t=2760 Die Cavatine der Zerline] in einer deutschen Aufführung von 1982, allerdings in anderer Übersetzung
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| == Die Cavatine der Zerline wird in folgendem Mosaikheft geträllert == | | == Die Cavatine der Zerline wird in folgendem Mosaikheft geträllert == |
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- | [[Kategorie:Amerika-Serie (Ereignis)]] | + | [[Kategorie:Amerika-Serie]] |
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